यू दर्द बचाए क्यूँ रखना?
पन्नो में सजाए क्यूँ रखना?
कोशिश कर ज़ोर लगाते हैं
दर्द को उसकी औकात बताते हैं
रहने दो बीती बातों को
पाने-खोने के सवालों को
भूल कर दुनिया भर की बातों को
हँसी में उड़ा दें हालातों को
देखा, ढूँढा, पाया कुछ नही
जो कुछ भी मिला, वो चला गया
सांझ डराती,
रात का रोब दिखाती
चलो बता दें
भोर की नींद में भी
सपने कई सलोने हैं
चोटिल हैं, भले किसी अपने के आघात से
सुन्न हैं माना अपनो के इस बर्ताव से
जो उलझे उनको क्यूँ सुलझाना?
गीत विरह के क्यूँ गाना
नये रास्ते..क्यूँ पथिक पुराना?
यू दर्द बचाए क्यूँ रखना?
लोग बदलते हैं, बातें भूलती हैं
पर नये शहर में बिसरे गीत क्यूँ दोहरातें हैं
चलो दिखा दें
खोने पर भी, हम दिल वाले कैसे मुस्काते हैं
यूँ करते तो ऐसा होता...
कब तक यह अफ़सोस मनाना?
ना दर्द सजायें, ना समझाएँ
चलो आज खुद को माफी दे आएं
हर बात के मतलब में क्यूँ जाना?
यू दर्द बचाए क्यूँ रखना?
कुछ देखी अनदेखी करते हैं
कोशिश कर ज़ोर लगाते हैं
दर्द को उसकी औकात बताते हैं
यू दर्द बचाए क्यूँ रखना?
पन्नो में सजाए क्यूँ रखना?
["मेरे शहर वाले" लामया द्वारा लिखी "साँवले होठों वाली" संग्रह की कविता है. और पढ़ने के लिए देखें saanwale hothon wali]
Picture credits: Dance, Henry Matisse , style - Fauvism
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ReplyDeletesms onay
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