साँवले होठों वाली: झोला
सुबह जागी, हड़बड़ाती,
हर रोज की तरह
जाने की जल्दी
बस पकड़ने की जल्दी
अधूरी नींद का शोर
सपनो को पूरा करने की होड़.
हर रोज सा दिन था
न नया, न पुराना .
भागती मैं,
जो बैठी बस में
पीछे सीट पर सिर टिका
खिड़की से लगी कुछ ताकने
लगी सोचने-
बीते रात की बातें
जिन पर गौर नहीं फरमाया
ज़रूरी थी
पर कल वक़्त हाथ नहीं आया
हेड फ़ोन मेरे कानो में
पुराने गाने बज रहे रास्ते के पेड़
कहीं पीछे भाग रहे
बादल उपर से
मुझे ताक रहे
रुकी बस,
मैं जागी
सड़क रुका था,
जाम लगा था
सुना कोई हादसा हुआ था
खून के छींटे भी थे
लोगों ने बताया-
कोई मर गया...
एक छोटा सा स्कूटर
बड़े ट्रक की टक्कर से
फिसल गया
जो उचक के देखा
तो पास में फैली थी सब्ज़ी
और पड़ा था
एक झोला ...
घर पर कुछ अच्छा बनना था
या हर रोज वो जाता था
इसी रास्ते
पुराने से झोले में
ताज़ी सब्ज़ी लिए
यकायक उसका आँगन दिखा
लाल साड़ी वाली बीबी,
कूदता फांदता बच्चा,
...और ऐनक वाली माँ
भूली सी कोई याद
दस्तक देती रही
मैं भी अनसुना कर
बाहर तकती रही
रुकी बस चलने लगी
सब्जी का झोला छूटता रहा
मुझे वो दूर तक देखता रहा
चुप चाप पड़ा पुकारता रहा
तभी टूटी चुप्पी
ज़िंदगी कहाँ रुकती है
रास्ते नहीं रुकते
किसी ने जो यह कहा
मैंने हामी भरी
सिर हिलाया और मुस्कुरा दिया
अगली सुबह;
हर रोज सा दिन था
न नया न पुराना...
फिर जल्दी में बस पकड़ी
वही खिड़की
वही भागते पेड़
बादल थोड़े अलग थे
जो उपर से ताकते थे
ड्राइवर ने ब्रेक लगाई थी
सामने दुल्हन की विदाई थी
कल जो लाल रंग रास्ते पे बिखरा था
आज दुल्हन के गालों पे बिखर गया
बारात संग,
लोग झूमते रहे
मैं फिर मुस्काई
कल वाली बात याद आयी
'ज़िंदगी कहाँ रुकती है
रास्ता नहीं रुकता'
मैने वो झोला ढूँढा,
जो कल मुझे था बुला रहा
वो मगर मिला नहीं
हेडफोन में गाने बजते रहे
बस यूँ ही चलती रही
...ज़िन्दगी भी
["झोला" लामया द्वारा लिखी "साँवले होठों वाली" संग्रह की कविता है. और पढ़ने के लिए देखें saanwale hothon wali ]
Picture Credits: Virginia, Frida Kahlo, Abstract, Primitivism
Camouflage
I want to run away, (she said)From the idea of 'we'From everythingFrom you and me...This existenceOr lack of itThis endless tumultThe burden of wishThis rowing and rowingto a nether shoreI somehow end upback to beforeI want to run away,From you and meYes, sweetheart,You are nothing but trueBut we have to rowon seismic waves,Together perhaps,separated may be.Sometimes we surfSometimes we sinkBut row we mustRow to be freeThose who runmust run to surviveBut as with the sheepor deer or fish,For those who runthere must be a herda flock; my dearwe chose to missSo we have to beIn the meleeMaking the wagerslosing to winPainting our facesChanting the rhymesMuting our voicesplaying their mimes.Bowing our headsto absurd adageWe must embracethis camouflageBut we have to beIn the meleeTogether perhaps,separated may beBut row we mustRow to be freeBut row we mustRow to be free
Picture Credits: Sisyphus, Franz Stuck, Mythological Symbolism